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अप्रैल, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

History or Founder of Jainism

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                          Jainism   1. The founder and first Tirthankar of Jainism was Rishabhdev. 2. The 23rd Tirthankara of Jainism was Parshvanath, who was the son of King Ashwasen of Ikshvaku dynasty of Kashi. He accepted the sannyas life at the age of 30. It was the education given by him. 1. Do not commit violence, 2. Always speak the truth, 3. Do not steal and 4. Do not keep property. 3. Mahavir Swami became the 24th and last Tirthankar of Jainism. 4. Mahavira was born in Kundagram (Vaishali) in 540 BC. His father Siddhartha Gyatrik was the leader of some and mother Trishula was the sister of Lichchavi king Chetak. 5. Mahavir's wife's name was Yashoda and daughter's name was Anokha Priyadarshini. 6. Mahavira's childhood name was Vardhaman. After the death of his parents at the age of 30, he had accepted the life of renunciation after taking permission from his elder brother Nandivardhan. 7. After 12 years of hard penance, Mahavira attained complete knowledge whil

Ancient Indian History: Sources of Ancient Indian History

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                      history of India Q. This sub-continent extending from the Himalayas in the north to the ocean in the south is known as Bharatvarsha, which is called 'Bharatvarsha' i.e. 'country of Bharatas' in epics and Puranas and its residents are called Bharati i.e. children of Bharata. Bharata was the name of an ancient clan. The ancient Indians called their country Jambudweep, meaning Jambu (Island of Jambu trees). The ancient Iranians associated it with the name of the river Indus, which they called the Hindus, not Sindhu. It came to be known as a river. The Greeks called it "Inde" and the Arabs called it Hind. In medieval times, this country came to be known as Hindustan. This word is also derived from the Persian word "Hindu". On the basis of "" the British started calling it "India".                                                   Q. The mountain range of Vindhya divides th

जैन धर्म का इतिहास अथवा संस्थापक

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                                जैन धर्म   1. जैनधर्म के संस्थापक और प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव थे। 2. जैनधर्म के 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ थे जो काशी के  इक्ष्वाकु  वंशीय राजा अश्वसेन के पुत्र थे। इन्होंने 30 वर्ष की अवस्था में संन्यास जीवन को स्वीकारा। इनके द्वारा दी गयी शिक्षा थी.  1. हिंसा न करना, 2 सदा सत्य बोलना, 3. चोरी न करना तथा 4. सम्पत्ति न रखना।  3. महावीर स्वामी जैन धर्म के 24वें एवं अंतिम तीर्थकर हुए। 4. महावीर का जन्म 540 ईसा पूर्व में कुण्डग्राम (वैशाली) में हुआ था। इनके पिता सिद्धार्थ ज्ञातृक कुछ के सरदार थे और माता त्रिशुला लिच्छवि राजा चेटक की बहन थी| 5. महावीर की पत्नी का नाम यशोदा एवं पुत्री का नाम अनोखा प्रियदर्शनी था। 6. महावीर के बचपन का नाम वर्द्धमान था। इन्होंने 30 वर्ष की उम्र  में माता-पिता की मृत्यु के पश्चात् अपने बड़े भाई  नंदिवर्धन  से  अनुमति लेकर संन्यास जीवन को स्वीकारा था। 7. 12 वर्षों की कठिन तपस्या के बाद महावीर  को  जृम्भिक के समीप ऋजुपालिका नदी के तट पर साल वृक्ष के नीचे तपस्या करते हुए सम्पूर्ण ज्ञान का बोध हुआ। इसी समय से महावीर जिन (विजेता), अर्हत

16 प्राचिन महाजनपदों का उदय

                         महाजनपदों का उदय  > बुद्ध के जन्म के पूर्व 6ठी शताब्दी ईसा पूर्व में भारतवर्ष 16 जनपदों में बँटा हुआ था। इसकी जानकारी हमें बौद्धग्रंथ अंगुत्तर निकाय से मिलती है। क. महाजनपद          राजधानी        क्षेत्र (आधुनिक स्थान) 1. अंग                      चंपा           भागलपुर, मुंगेर (बिहार)  2. मगध          गिरिब्रज / राजगृह         पटना, गया (बिहार) 3. काशी               वाराणसी      वाराणसी के आस-पास                                                        (उत्तर प्रदेश)  4. वत्स                 कौशाम्बी       इलाहाबाद के आस-पास,                                                           (उत्तर प्रदेश) 5. वज्जी.         वैशाली/ विदेह/     मुजफ्फरपुर और दरभंगा                            मिथिला.         के आस-पास का क्षेत्र  6. कोशल           श्रावस्ती      फैजाबाद, गौंडा, बहराइच                                                     (उत्तर प्रदेश) 7. अवन्ति          उज्जैन / महिष्मती मालवा (मध्य प्रदेश) 8. मल्ल           कुशावती        देवरिया, बस्ती, गोरखपुर         

प्राचीन भारतीय इतिहास : 1 – प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत

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                        भारत का इतिहास  Q. उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में समुद्र तक फैला यह उपमहाद्वीप भारतवर्ष के नाम से ज्ञात है, जिसे महाकाव्य तथा पुराणों में 'भारतवर्ष अर्थात् 'भरतों का देश' तथा यहाँ के निवासियों को भारती अर्थात भरत की संतान कहा गया है। भरत एक प्राचीन कबीले का नाम था। प्राचीन भारतीय अपने देश को जम्बूद्वीप, अर्थात् जम्बू (जामुन वृक्षों का द्वीप कहते थे। प्राचीन ईरानी इसे सिन्धु नदी के नाम से जोड़ते थे, जिसे वे सिन्धु न कहकर हिन्दू कहते थे। यही नाम फिर पूरे पश्चिम में फैल गया और पूरे देश को इसी एक नदी के नाम से जाना जाने लगा। यूनानी इसे "इंदे"" और अरब इसे हिन्द कहते थे। मध्यकाल में इस देश को हिन्दुस्तान कहा जाने लगा। यह शब्द भी फारसी शब्द "हिन्दू" से बना है। यूनानी भाषा के ''इंदे"" के आधार पर अंग्रेज इसे "इंडिया" कहने लगे।                                                   Q.   विंध्य की पर्वत श्रृंखला देश को उत्तर और दक्षिण, दो भागों में बाँटती है। उत्तर में इंडो यूरोपीय परिवार की भाषाएँ बोलने वालो

स्मरणीय तथ्य (Memorable Facts ) for biology

            स्मरणीय तथ्य (Memorable Facts ) Q. सूक्ष्मजीव (Micro-organism) — ऐसे जीव जो हमारी नग्न आँखों से दिखाई नहीं देते हैं, Q. परन्तु इन्हें सूक्ष्मदर्शी की सहायता से देखा जा सकता है, सूक्ष्मजीव कहलाते हैं। सूक्ष्मजीवों के पाँच प्रमुख वर्ग हैं : (i) जीवाणु, (ii) कवक, (iii) शैवाल, (iv) प्रोटोजाओ, (v) विषाणु । Q. परपोषी—वे जीव जो अपना भोजन स्वयं निर्माण नहीं करते हैं और भोजन पूर्ति हेतु अन्य स्रोतों पर निर्भर करते हैं, परपोषी कहे जाते हैं। Q. सहजीवी (Symbionts)—दो जीवों का ऐसा आपसी संबंध जिसमें दोनों जीव एक-दूसरे से लाभान्वित होते हैं, सहजीविता कहे जाते हैं। और दोनों जीव सहजीवी कहे जाते हैं ।  Q. वायुजीवी जीवाणु (Aerobic Bacteria)ऑक्सीजन की उपस्थिति में वृद्धि तथा गुणन करने वाले जीवाणु को वायुजीवी जीवाणु कहते हैं। Q. अवायुजीवी जीवाणु (Anaerobic Bacte ria)- ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में वृद्धि तथा गुणन करने वाले जीवाणु को अवायुजीवी जीवाणु कहते हैं। Q. विषाणु सजीव और निर्जीव की सीमा रेखा पर स्थित है। Q. रोजगनक सूक्ष्म जीव (Pathogenic Micro- organism )—वे सूक्ष्म जीव जो रोग उत्पन्न करते है

प्राचीन भारत के प्रमुख राजवंश एवं उनके संस्थापको की सूची

  प्राचीन भारत के प्रमुख राजवंश एवं उनके संस्थापको की सूची  ◆ हर्यक वंश :- बिम्बिसार  ◆ शिशुनाग वंश :- शिशुनाग  ◆ नंद वंश :- महापदम् नन्द  ◆ मौर्य वंश :- चन्द्रगुप्त मौर्य  ◆ शुंग वंश :- पुष्यमित्र शुंग  ◆ कण्व वंश :- वसुदेव  ◆ सातवाहन वंश :- सिमुक  ◆ कुषाण वंश :- कडफिसस प्रथम  ◆ गुप्त वंश :- श्री गुप्त  ◆ हूण वंश :- तोरमाण  ◆ पुष्यभूति वंश :- नरवर्धन  ◆ पल्लव वंश :- सिंहवर्मन चतुर्थ  ◆ चालुक्य वंश :- जयसिंह  ◆ चालुक्य वंश :- तैलव द्वितीय  ◆ चालुक्य वंश :- विष्णुवर्धन ◆ राष्ट्रकूट वंश :- दन्तिदूर्ग  ◆ पाल वंश :- गोपाल  ◆ गुर्जर - प्रतिहार :- नागभट्ट प्रथम  ◆ सेन वंश :- सामन्त सेन  ◆ गहड़वाल वंश :- चन्द्रदेव  ◆ चौहान वंश :- वासुदेव  ◆ चन्देल वंश :- नन्नुक  ◆ गंग वंश :- वज्रहस्त वर्मन  ◆ उत्पल वंश :- अवन्ति वर्मन  ◆ परमार वंश :- उपेन्द्रराज  ◆ सोलंकी वंश :- मूलराज प्रथम  ◆ कलचुरी वंश :- कोकल्ल  ◆ चोल वंश :- विजयालय  ●▬▬▬▬▬⚜۩۞۩⚜▬▬▬▬● 🇮🇳 VERY VERY IMPORTANT GK ●▬▬▬▬▬⚜۩۞۩⚜▬▬▬▬● Share जरूर करें ‼️.......